
BNITIMES.COM/Editor Vishal Sharma/ Bureau News /02 October 2025
📰 विशेष रिपोर्ट
क्या लद्दाख की मांग जायज़ है?क्या पूर्ण राज्य बनने से भारत की सुरक्षा खतरे में पड़ सकती है?क्या अमेरिका और विदेशी ताक़तें आंदोलन को हवा दे रही हैं?या यह सिर्फ़ लद्दाख की जनता का हक़ है?
लद्दाख में आंदोलन: पूर्ण राज्य की माँग या विदेशी इशारों पर देश को अस्थिर करने की कोशिश?लेह/लद्दाख –लद्दाख में सामाजिक कार्यकर्ता सोनम वंगचुक (जिन्हें कई लोग “Sonam Wangchuk” के नाम से जानते हैं) के नेतृत्व में पूर्ण राज्य का दर्जा देने की माँग को लेकर आंदोलन जारी है। हाल ही में लेह और कारगिल में बड़े स्तर पर धरना-प्रदर्शन हुए, जिससे यह मुद्दा राष्ट्रीय बहस में आ गया है।ऐतिहासिक संदर्भ1989 में हुए बड़े आंदोलनों के बाद लद्दाख हिल डेवलपमेंट काउंसिल का गठन हुआ।2019 में जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम के तहत लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश (UT) का दर्जा मिला।अब मांग उठ रही है कि लद्दाख को पूर्ण राज्य बनाया जाए।क्यों नहीं मिल सकता राज्य का दर्जा?विशेषज्ञ बताते हैं कि लद्दाख को फिलहाल राज्य का दर्जा देना राष्ट्रीय सुरक्षा के लिहाज़ से ख़तरनाक हो सकता है।इसकी सीमाएँ सीधे चीन और पाकिस्तान से लगती हैं।पूर्ण राज्य की स्थिति में स्थानीय राजनीति पर बाहरी प्रभाव बढ़ सकता है।नेपाल में जय सिंह युवा आंदोलन जैसे उदाहरणों से यह साफ है कि सीमावर्ती क्षेत्रों में आंदोलन कभी-कभी विदेशी ताक़तों के एजेंडे से भी भटक जाते हैं।विदेशी इशारे का शकसूत्रों का दावा है कि सोनम वंगचुक और उनके समर्थक कहीं न कहीं अमेरिका और पश्चिमी ताक़तों के इशारों पर यह आंदोलन चला रहे हैं।आशंका जताई जा रही है कि यह सिर्फ “स्थानीय अधिकारों की लड़ाई” नहीं, बल्कि भारत को भीतर से अस्थिर करने की कोशिश भी हो सकती है।सुरक्षा एजेंसियाँ भी इस बात पर नज़र रखे हुए हैं कि आंदोलन कहीं देश विरोधी साजिश में न बदल जाए।निष्कर्षलद्दाख की जनता विकास और संवैधानिक अधिकार चाहती है, लेकिन जब सीमाएँ चीन और पाकिस्तान जैसी ताक़तों से जुड़ी हों, तब सरकार को सावधानी और कठोर सुरक्षा दृष्टि से निर्णय लेना होगा।यह देखना दिलचस्प होगा कि यह आंदोलन लोकतांत्रिक संवाद तक सीमित रहता है या विदेशी ताक़तें इसे देशव्यापी अस्थिरता का माध्यम बनाने में सफल होती हैं।
फिलहाल सोनम वांगचुंग राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के अंतर्गत पुलिस ने गिरफ्तार कर जोधपुर जेल भेज दिया है लेकिन इस आंदोलन से विपक्ष को मौका मिल।गया है सरकार को घेरना का कई राजनीतिक पार्टियां पर्यावरण कार्यकर्ता सोनम वांगचुंग की गिरफ्तारी का विरोध कर रहे थे क्या हमारे देश में अराजकता को राजनीतिक संरक्षण है ऐसा ही होता रहा तोह यह भविष्य के लिए घटक होगा