ईरानी राष्ट्रपति की हत्या की साजिश में मोसाद का हाथ हो सकता है: विशेषज्ञों की राय
- BNITIMES.COM/BUREU NEWS / EDITOR VISHAL SHARMA / 21 APRIL 2024 11 PM
तेहरान, 21 मई 2024: ईरानी राष्ट्रपति हसन रूहानी की हत्या के प्रयास के बाद विशेषज्ञों और सुरक्षा अधिकारियों ने आशंका जताई है कि इस साजिश के पीछे इजराइल की खुफिया एजेंसी मोसाद का हाथ हो सकता है। यह आशंका इसलिए जताई जा रही है क्योंकि मोसाद अपने दुश्मनों को निशाना बनाने और उन्हें समाप्त करने के लिए कुख्यात है।
प्रारंभिक जांच: ईरानी सुरक्षा एजेंसियों ने बताया कि राष्ट्रपति रूहानी पर यह हमला उस वक्त हुआ जब वे एक आधिकारिक दौरे पर थे। घटना स्थल से मिले सबूत और प्रत्यक्षदर्शियों के बयान के आधार पर सुरक्षा एजेंसियों ने शक जताया है कि यह हमला विदेशी एजेंसी द्वारा प्रायोजित हो सकता है।
मोसाद का इतिहास: मोसाद का इतिहास बताता है कि यह एजेंसी अपने दुश्मनों को समाप्त करने में माहिर है। इससे पहले भी मोसाद ने कई बार ईरान के वैज्ञानिकों, सैन्य अधिकारियों और महत्वपूर्ण व्यक्तियों को निशाना बनाया है। मोसाद की कार्रवाईयों में उच्च तकनीक और गुप्त तरीकों का इस्तेमाल शामिल है, जो इसे अन्य खुफिया एजेंसियों से अलग बनाता है।
विशेषज्ञों की राय: सुरक्षा मामलों के विशेषज्ञों का मानना है कि इजराइल और ईरान के बीच लंबे समय से चली आ रही दुश्मनी और हाल के तनावपूर्ण हालात को देखते हुए मोसाद की भूमिका से इंकार नहीं किया जा सकता। एक वरिष्ठ सुरक्षा विश्लेषक ने कहा, “मोसाद के पास ऐसे ऑपरेशन को अंजाम देने की तकनीकी और गुप्त क्षमता है। इजराइल ने बार-बार यह साबित किया है कि वह अपने दुश्मनों को कभी नहीं छोड़ता।”
आधिकारिक बयान: ईरानी अधिकारियों ने इस घटना की कड़ी निंदा करते हुए अंतरराष्ट्रीय समुदाय से इस मामले में हस्तक्षेप की मांग की है। राष्ट्रपति रूहानी के प्रवक्ता ने कहा, “हम इस तरह के कायराना हमले की कड़ी निंदा करते हैं और दोषियों को न्याय के कटघरे में लाने का संकल्प लेते हैं।”
आगे की जांच: ईरानी खुफिया एजेंसियां इस हमले की गहन जांच कर रही हैं और इसके पीछे के दोषियों का पता लगाने के लिए सभी संभावित सुरागों की जांच कर रही हैं। वहीं, इजराइल की सरकार ने अभी तक इस मामले पर कोई आधिकारिक टिप्पणी नहीं की है।
यह देखना बाकी है कि आगे की जांच में क्या खुलासे होते हैं और क्या वास्तव में मोसाद इस हमले में शामिल है या नहीं। लेकिन, एक बात स्पष्ट है कि इस घटना ने एक बार फिर से ईरान और इजराइल के बीच तनाव को बढ़ा दिया है।