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सुनामी के बाद ग्लोबल वार्मिंग: भारत में मौसम परिवर्तन की नई तस्वीर

सुनामी के बाद ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन के प्रभाव: भारत में असामान्य मौसम परिवर्तन

नई दिल्ली: 2004 में भारतीय महासागर में आए विशाल सुनामी के बाद से, भारत में जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग के प्रभावों में तेजी से वृद्धि देखने को मिली है। सुनामी जैसी प्राकृतिक आपदाओं के बाद जलवायु के पैटर्न में असामान्य बदलाव हो रहे हैं, जिनका असर अब देश के विभिन्न हिस्सों में स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहा है। तेलंगाना जैसे राज्यों में तापमान में असामान्य गिरावट, दक्षिण भारत में अत्यधिक सर्दी, और अन्य हिस्सों में बर्फबारी और अत्यधिक वर्षा इसके प्रमुख उदाहरण हैं।

तेलंगाना में, जो आमतौर पर गर्म और शुष्क जलवायु के लिए जाना जाता है, इस बार सर्दी का असामान्य प्रभाव देखा गया है। राज्य के कई हिस्सों में तापमान 10 डिग्री सेल्सियस से नीचे गिर चुका है, जो इस क्षेत्र के लिए अप्रत्याशित था। यह बदलाव केवल तेलंगाना तक सीमित नहीं है, बल्कि पूरे दक्षिण भारत में भी ठंड का प्रभाव बढ़ गया है, जिससे स्थानीय लोग सर्दी का सामना कर रहे हैं। विशेष रूप से तमिलनाडु, कर्नाटका और आंध्र प्रदेश में नवंबर और दिसंबर में तापमान सामान्य से नीचे गिर गया है।

सुनामी के बाद समुद्र स्तर में वृद्धि और जलवायु परिवर्तन ने मौसम पैटर्न को अस्थिर बना दिया है। वैज्ञानिकों का मानना ​​है कि महासागरों में हुई हलचल और प्रदूषण के कारण इन प्राकृतिक आपदाओं में वृद्धि हुई है, जो अब मौसम के असामान्य बदलावों का कारण बन रहे हैं। गुजरात और महाराष्ट्र जैसे पश्चिमी राज्यों में भी इस साल असामान्य वर्षा हो रही है, जिससे जलभराव और बाढ़ की समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं।

इसके अतिरिक्त, हिमालय क्षेत्र में बर्फबारी का पैटर्न भी बदल रहा है। पिछले कुछ वर्षों में पहाड़ी इलाकों में अधिक बर्फबारी हुई है, जिससे इन क्षेत्रों में ठंडक बढ़ी है। बर्फबारी का यह असामान्य बढ़ाव भी जलवायु परिवर्तन के कारण हो रहा है। हिमालयी क्षेत्र में बढ़ती बर्फबारी और ग्लेशियरों के पिघलने का असर इन इलाकों के मौसम पर पड़ रहा है, जो भविष्य में और अधिक खतरनाक हो सकता है।

सुनामी जैसी आपदाओं ने यह स्पष्ट कर दिया है कि जलवायु परिवर्तन और समुद्र के स्तर में वृद्धि से प्राकृतिक आपदाएं और अधिक विनाशकारी हो सकती हैं। जलवायु विशेषज्ञों का कहना है कि अगर इस दिशा में ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो आने वाले समय में इन असामान्य मौसम बदलावों के और भी गंभीर परिणाम हो सकते हैं।

भारत सरकार और राज्य सरकारों को इस दिशा में तत्काल कदम उठाने की आवश्यकता है। प्रदूषण नियंत्रण, वन संरक्षण और जलवायु परिवर्तन पर जागरूकता फैलाना बहुत जरूरी है, ताकि हम इस वैश्विक संकट से निपट सकें और आने वाली पीढ़ियों के लिए एक सुरक्षित पर्यावरण सुनिश्चित कर सकें।

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