नालंदा विश्वविद्यालय के नए कैंपस उद्घाटन के बाद बामसेफ और ब्राह्मण समाज में विवाद
बामसेफ ने चलाया ट्रेंड'नालंदा विश्वविद्यालय ब्राह्मणों ने जलाया' , ब्राह्मणों में रोष**
बिहार, 19 जून: ऐतिहासिक नालंदा विश्वविद्यालय के नए कैंपस का उद्घाटन हो चुका है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार, 19 जून को इस नए परिसर का उद्घाटन किया। करीब 1749 करोड़ रुपये की लागत से बने इस कैंपस की तस्वीरें बेहद मनमोहक हैं और यह नालंदा विश्वविद्यालय को दुनिया की सबसे खूबसूरत विश्वविद्यालयों की सूची में शामिल कर सकती हैं।
नालंदा विश्वविद्यालय, जो बिहार राज्य के नालंदा जिले में स्थित है, का इतिहास काफी प्राचीन है। तुर्की शासक बख्तियार खिलजी ने 1199 में इस विश्वविधालय को आग लगवा दी थी। कहा जाता है कि विश्वविद्यालय के पुस्तकालय में इतनी पुस्तकें थीं कि वहां की आग तीन महीने तक धधकती रही। इस आगजनी में कई धर्माचार्य और बौद्ध भिक्षु मारे गए थे। खिलजी ने उत्तर भारत के कुछ बौद्ध शासित क्षेत्रों पर कब्जा भी कर लिया था।
इतिहासकारों के अनुसार कारण
इतिहासकारों के अनुसार, बख्तियार खिलजी के नालंदा विश्वविद्यालय को जलाने के पीछे की वजह यह थी कि एक समय वह बहुत बीमार पड़ गया था। जब उसके हकीमों ने उसका इलाज करने में असमर्थता जताई, तो उसे नालंदा विश्वविद्यालय के आयुर्वेद विभाग के प्रमुख आचार्य राहुल श्रीभद्र से इलाज कराने की सलाह दी गई। आचार्य राहुल ने कुरान के कुछ पृष्ठों पर दवा का अदृश्य लेप लगा दिया था, जिससे खिलजी ठीक हो गया। लेकिन इससे गुस्से में आकर उसने 1199 में नालंदा विश्वविद्यालय को आग लगा दी।
ब्राह्मण समाज में उबाल
हाल ही में कुछ संगठनों ने ट्विटर पर यह ट्रेंड चलाया कि नालंदा विश्वविद्यालय को ब्राह्मणों ने जलाया था, जिससे ब्राह्मण समाज में रोष उत्पन्न हो गया है। राष्ट्रीय परशुराम सेना ब्रह्म वाहिनी के राष्ट्रीय अध्यक्ष, विमल तिवारी ने इसे राजनीतिक उद्देश्य और एक समाज विशेष को खुश करने के लिए किया गया आक्रमण बताया है। उन्होंने सरकार से ऐसे संगठनों पर सख्त कार्रवाई की मांग की है। अन्यथा ब्राह्मण समाज को सडको पर उतरना पड़ेगा हमारी चुप्पी को कमजोरी न समझे हम राष्ट्रीय हित और सर्वे जना सुखिनो भवन्तु के मार्ग पर चलने वाले समाज से आते है हमारी सहनशक्ति को न परखे भलाई है