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रूस और यूक्रेन युद्ध मे चेचन्य लड़ाके लड़ रहे है रूस की तरफ से

कौन है यह चेचन्या लड़ाके क्यो इतना ख़ौफ़ है इनका विदेशी पत्रकार भागे यूक्रेन छोड़ के

सदियों पुरानी समस्या है चेचन्या की
चेचन्या रूस के दक्षिणी हिस्से में स्थित गणराज्य है जो मुख्यतः रूस से घिरा है. मगर इसका कुछ हिस्सा पड़ोसी देश जॉर्जिया को भी छूता है.

एक समय में चेचन्या अपनी तेल संपदा, अपनी अर्थव्यवस्था और अपने बुनियादी ढांचे के कारण एक संपन्न क्षेत्र माना जाता था मगर स्थानीय अलगाववादियों और रूसी सैनिकों के बीच बरसों से जारी लड़ाई ने चेचन्या को बर्बाद सा कर दिया है.

ऐतिहासिक तौर पर चेचन्या पिछले लगभग 200 साल से रूस के लिए मुश्किल बना हुआ है.

रूस ने लंबे और रक्तरंजित अभियान के बाद 1858 में चेचन्या में इमाम शमील के विद्रोह को कुचला.

पहले विद्रोह की आग के ठंढी पड़ने के लगभग 60 साल बाद जब रूस में क्रांति हुई तो चेचन फिर रूस से अलग हो गए.

पर ये आज़ादी कुछ ही समय तक बनी रही और 1922 में रूस ने फिर चेचन्या पर अधिकार कर लिया.

दूसरे महायुद्ध के वक़्त चेचन फिर रूस से अलग हो गए.

रूस को ये अच्छा नहीं लगा और लड़ाई थमते ही रूसी नेता स्टालिन ने चेचन अलगाववादियों पर दुश्मनों से सहयोग का आरोप लगाकर उन्हें साइबेरिया और मध्य एशियाई क्षेत्रों में निर्वासित कर दिया.

1957 मे ख्रूश्चेव सत्ता में आए और इसके बाद ही चेचन अलगाववादी वापस आ पाए.

सोवियत विघटन के बाद

1991 में सोवियत संघ टूटा और इसके बाद फिर चेचन्या की आज़ादी का मुद्दा उठा.

इसके बाद तीन साल तक विद्रोहियों का हौसला बढ़ता गया.

1997 में चेचन विद्रोही अस्लान मस्खादौफ़ को चेचन्या का राष्ट्रपति चुना गया

1994 में रूस ने वहाँ सेना भेजी जिसमें दोनों तरफ़ के लोग भारी संख्या में मारे गए.

समझौते के तहत चेचन्या को स्वायत्तता दी गई मगर पूरी आज़ादी नहीं मिली.

1997 में चेचन सेना के प्रमुख जनरल अस्लान मस्खादौफ़ को राष्ट्रपति चुना गया.

1999 रूस में व्लादीमिर पुतिन प्रधानमंत्री बन चुके थे और उनकी सरकार ने सख़्ती दिखानी शुरू कर दी.

पुतिन सरकार ने मार्च 2003 में एक विवादास्पद जनमत संग्रह करवाया.

इसके तहत चेचन्या के लिए नए संविधान को मंज़ूरी दी गई और चेचन्या को और स्वायत्तता दी गई.

मगर ये स्पष्ट कर दिया गया कि चेचन्या रूस का हिस्सा है.

अक्तूबर 2003 में चेचन्या में राष्ट्रपति पद के लिए भी विवादास्पद चुनाव हुए और अख़मद कदिरौफ़ की इसमें एकतरफ़ा जीत हुई.

Chechen leader explains why he backs Putin’s ‘military operation’ in Ukraine

कदिरौफ़ को रूस समर्थक माना जाता रहा है और जीत के बाद उन्होंने वादा किया था कि वे आतंकवाद को ख़त्म कर देंगे.
चेचन्या गणराज्य में रूस के अधिकार के बाद ऐसा माना जाता है कि जब जब रूस संकट में आया उसने सीधी अपनी सेना भेजने के बदले चेचन्या विद्रोहियों को पैसे देकर रूसी सेना की वर्दी में युद्ध लड़वाया ऐसा ही तजा मामला यूक्रेन का है जहाँ रूसी नही उसके भाड़े की सेना यानी चेचन्या विद्रोही युद्ध लड़ रहे है चेचन्या विद्रोहियों को इसके लिए भारी मात्रा में पैसा गोला बारूद मिल रहा है । अगर यही युद्ध रूसी सेना लड़ रही होती तोह शायद यह युद्ध कुछ दिनों में खत्म हो जाता न कि महीनों चलता ।
रूसी राष्ट्रपति अपने बिखरे रूस को अब एक अखंड रूस बनानां चाहते है इसलिए यूक्रेन में युद्ध चल रहा है पुतिन के संकल्प के सामने यूरोप बौना नज़र आरहा है

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